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ब्रह्मांड और माता-पिता

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जैसा कि नाम से ही आपको पता चल रहा होगा कि माता-पिता को ब्रह्यांड के समान ही स्थान दिया गया है। मैंने अपने माता-पिता को हमेशा बहुत सम्मान दिया है, प्यार किया है और करता रहूंगा। मैं जानता हूं कि माता-पिता के ़ऋणों का भुगतान कभी भी कोई औलाद नहीं कर सकती है। तो मैं…

Description

ब्रह्मांड और माता-पिता

जैसा कि नाम से ही आपको पता चल रहा होगा कि माता-पिता को ब्रह्यांड के समान ही स्थान दिया गया है। मैंने अपने माता-पिता को हमेशा बहुत सम्मान दिया है, प्यार किया है और करता रहूंगा। मैं जानता हूं कि माता-पिता के ़ऋणों का भुगतान कभी भी कोई औलाद नहीं कर सकती है। तो मैं पुत्र के रुप में उनकी संतान हूं और मैंने अपने माता-पिता को चुना है। मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे प्यार किया है, सम्मान दिया है और मेरे लिये जो भी हो सकता है, जितना भी हो सकता है, उतना किया है। मुझे अपने माता-पिता से कोई शिकायत नही है। परिस्थितियों वश माता-पिता से कुछ भूलें होती हैं, वो जानमूझकर नहीं होती हैं, मजबूरियां होती है, जिम्मेदारियां होती हैं। तो उन सारी चीजों में एक इंसान जरुर डगमगा जाता है लेकिन माता-पिता का दिल हमेशा अपनी संतान के लिये एक समान रहता है और हमेशा प्यार रहता है। तो आप भी अगर अपने माता-पिता को उसी तरह से प्यार करते हैं, सम्मान करते हैं तो ये पुस्तक आपके लिये है और उनको प्यार करना और इस ब्रह्यांड के समान उसे स्थान देना और सम्मान देना होता है। आप इस पुस्तक को अपने पास रखिये और अपने माता-पिता से और ज्यादा प्यार कैसे करें, ये सीखें। धन्यवाद।

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